कार्तिक माह महत्व
कार्तिक हिंदी पंचाग का आँठवा महिना है, कार्तिक के महीने में दामोदर भगवान की पूजा की जाती हैं. यह महिना शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है, जिसके बीच में कई विशेष त्यौहार मनाये जाते हैं. शरद पूर्णिमा महत्व कथा पूजा विधि एवम कविताजानने के लिए पढ़े.
इस माह में पवित्र नदियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता हैं. घर की महिलायें सुबह जल्दी उठ स्नान करती हैं, यह स्नान कुँवारी एवम वैवाहिक दोनों के लिए श्रेष्ठ हैं.
इस माह की एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी अथवा देव उठनी एकादशी कहा जाता हैं इसका सर्वाधिक महत्व होता है, इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा के बाद उठते हैं जिसके बाद से मांगलिक कार्य शुरू किये जाते हैं.
इस महीने तप एवम पूजा पाठ उपवास का महत्व होता है, जिसके फलस्वरूप जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है. इस माह में तप के फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.इस माह के श्रद्धा से पालन करने पर दीन दुखियों का उद्धार होता है, जिसका महत्त्व स्वयम विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा था.इस माह के प्रताप से रोगियों के रोग दूर होते हैं जीवन विलासिता से मुक्ति मिलती हैं.
कार्तिक मास में दीपदान (Kartika Month Deepdaan)
कार्तिक माह में दीप दान का महत्व होता हैं. इस दिन पवित्र नदियों में, मंदिरों में दीप दान किया जाता हैं. साथ ही आकाश में भी दीप छोड़े जाते हैं. यह कार्य शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता हैं. दीप दान के पीछे का सार यह हैं कि इससे घर में धन आता हैं. कार्तिक में लक्ष्मी जी के लिए दीप जलाया जाता हैं और संकेत दिया जाता हैं अब जीवन में अंधकार दूर होकर प्रकाश देने की कृपा करें. कार्तिक में घर के मंदिर, वृंदावन, नदी के तट एवम शयन कक्ष में दीपक लगाने का माह्त्य पुराणों में निकलता हैं.
कार्तिक माह से तुलसी का महत्व ((Kartika Maah Tulsi Mahatv)
कार्तिक में तुलसी की पूजा की जाती हैं और तुलसी के पत्ते खाये जाते हैं. इससे शरीर निरोग बनता हैं. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य देवता एवम तुलसी के पौधे को जल चढ़ाया जाता हैं. कार्तिक में तुलसी के पौधे का दान दिया जाता हैं.
कार्तिक माह में दान :
कार्तिक माह में दान का भी विशेष महत्व होता हैं. इस पुरे माह में गरीबो एवम ब्रह्मणों को दान दिया जाता हैं. इन दिनों में तुलसी दान, अन्न दान, गाय दान एवम आँवले के पौधे के दान का महत्व सर्वाधिक बताया जाता हैं. कार्तिक में पशुओं को भी हरा चारा खिलाने का महत्व होता हैं.
कार्तिक में भजन :
कार्तिक माह में श्रद्धालु मंदिरों में भजन करते हैं. अपने घरों में भी भजन करवाते हैं. आजकल यह कार्य भजन मंडली द्वारा किये जाते हैं. इन दिनों रामायण पाठ, भगवत गीता पाठ आदि का भी बहुत महत्व होता हैं. इन दिनों खासतौर पर विष्णु एवम कृष्ण भक्ति की जाती हैं. इसलिए गुजरात में कार्तिक माह में अधिक रौनक दिखाई पड़ती हैं.
कार्तिक पूजा विधि नियम (Kartika Maas Puja Vidhi)
कार्तिक माह में कई तरह के नियमो का पालन किया जाता है, जिससे मनुष्य के जीवन में त्याग एवम सैयम के भाव उत्पन्न होते हैं.
पुरे माह मॉस, मदिरा आदि व्यसन का त्याग किया जाता हैं. कई लोग प्याज, लहसुन, बैंगन आदि का सेवन भी निषेध मानते हैं.
इन दिनों फर्श पर सोना उपयुक्त माना जाता हैं कहते हैं इससे मनुष्य का स्वभाव कोमल होता हैं उसमे निहित अहम का भाव खत्म हो जाता हैं.
कार्तिक में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया जाता हैं.
तुलसी एवम सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता हैं.
काम वासना का विचार इस माह में छोड़ दिया जाता हैं.ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता हैं.
इस प्रकार पुरे माह नियमो का पालन किया जाता हैं.
कार्तिक कथा
(Kartika Katha)
कार्तिक के समय भगवान विष्णु ने देवताओ को जालंधर राक्षस से मुक्ति दिलाई थी, साथ ही मत्स्य का रूप धरकर वेदों की रक्षा की थी. इस प्रकार कार्तिक में कई कथायें हैं. कार्तिक माह में कई विशेष तिथी एवम कथाये होती हैं जो निम्नानुसार हैं :
कार्तिक मॉस के त्यौहार (Kartika Festival)
1करवाचौथ : कृष्ण पक्ष चतुर्थी
2अहौई अष्टमी एवम कालाष्टमी : कृष्ण पक्ष अष्टमी
3रामा एकादशी
4धन तेरस
5नरक चौदस
6दिवाली, कमला जयंती
7गोवर्धन पूजा अन्नकूट
8भाई दूज / यम द्वितीया : शुक्ल पक्ष द्वितीय
9कार्तिक छठ पूजा
10गोपाष्टमी
11अक्षय नवमी/ आँवला नवमी, जगदद्त्तात्री पूजा
12देव उठनी एकदशी/ प्रबोधिनी
13तुलसी विवाह
यह सभी कार्तिक माह में आने वाले प्रमुख त्यौहार हैं. पूरा महिना कई त्यौहार मनाये जाते हैं. कार्तिक माह में कई तरह के पाठ, भगवत गीताआदि सुनने का महत्व होता हैं. यह पूरा महीने मनुष्य जाति नियमो में बंधकर ईश्वर भक्ति करता हैं.
और भी जाने
हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। इस माह को अत्यंत पवित्र माह की श्रेणी में रखा गया है। इस पूरे माह व्रत, तप, दान-पुण्य, पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व बताया गया है। कार्तिक माह भगवान विष्णु और शिव दोनों को अत्यंत प्रिय है। इस माह के बारे में शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि जो मनुष्य कार्तिक माह में व्रत, तप, मंत्र जप, दान-पुण्य और दीपदान करता है वह जीवित रहते हुए पृथ्वी पर समस्त सुखों का भोग करता है और मृत्यु के पश्चात बैकुंठ में निवास करता है।
तारा स्नान
कार्तिक महीने के सभी दिनों में सूर्योदय से पूर्व और संध्याकाल में स्नान करना बेहद पवित्र माना गया है। इसे तारा स्नान कहा गया है। यानी प्रात: आकाश में तारों की उपस्थिति में स्नान और सायंकाल में आकाशमंडल में तारे उदित होने के बाद भोजन। पुराणों में इस तरह के स्नान को पापों से मुक्त करने वाला और कई पवित्र स्नानों के बराबर फल देने वाला बताया गया है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने की भी मान्यता है। इससे समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। कार्तिक माह में प्रतिदिन सूर्योदय पूर्व और संध्याकाल में किया गया स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के बराबर फल देने वाला माना गया है।
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कार्तिक माह में क्या करें
कार्तिक माह में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी में प्रतिदिन प्रात:काल जल अर्पित करने और सायंकाल में तुलसी के समीप दीप प्रज्जवलित करने से घर-परिवार में समस्त प्रकार के सुखों का भंडार भरता है।
कार्तिक माह में पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत मोक्षदायी बताया गया है। इससे जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है।
कार्तिक माह में मंत्र जाप का प्रभाव सामान्य दिनों की अपेक्षा करोड़ों गुना अधिक मिलता है। जो व्यक्ति किसी कार्य विशेष की पूर्ति के लिए मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं वे इस माह में नियम से मंत्र जाप करें।
इस पूरे माह गायत्री मंत्र का जाप समस्त सुखों की प्राप्ति करवाता है। साहस, निडरता, बुरी नजरों से मुक्ति और जन्मकुंडली के समस्त दोषों के निवारण के लिए कार्तिक माह में गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें।
कार्तिक माह भगवान विष्णु का प्रिय माह है इसलिए उनकी पूजा-अर्चना से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न् होती है। धन-संपत्ति की प्राप्ति और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न् करने के लिए कार्तिक माह में श्रीसूक्त के पाठ भी किए जाते हैं।
इस माह में अपने तन-मन के साथ अपने आसपास के परिवेश को भी साफ-स्वच्छ रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्रसन्न् होती है।
कार्तिक माह भगवान शिव का भी प्रिय माह है। बीमारियों से मुक्ति, लंबी आयु और निरोगी दीर्घ जीवन के लिए इस पूरे माह भगवान शिव का जल से अभिषेक करना अत्यंत शुभ रहता है।
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