सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

धर्मात्मा तोते की कथा

देवराज इंद्र और धर्मात्मा तोते की कथा 

एक शिकारी ने शिकार पर तीर चलाया। तीर पर सबसे खतरनाक जहर लगा हुआ था।
पर निशाना चूक गया। तीर हिरण की जगह एक फले-फूले पेड़ में जा लगा। पेड़ में जहर फैला, वह सूखने लगा।
उस पर रहने वाले सभी पक्षी एक-एक कर उसे छोड़ गए। 

धर्मात्मा तोते की कथा



पेड़ के कोटर में एक धर्मात्मा तोता बहुत बरसों से रहा करता था। तोता पेड़ छोड़ कर नहीं गया, बल्कि अब तो वह
 ज्यादातर समय पेड़ पर ही रहता।दाना-पानी न मिलने से तोता भी सूख कर काँटा हुआ जा रहा था।

बात देवराज इन्द्र तक पहुँची। मरते वृक्ष के लिए अपने प्राण दे रहे तोते को देखने के लिए इन्द्र स्वयं वहाँ आए।
धर्मात्मा तोते ने उन्हें पहली नजर में ही पहचान लिया। 

इन्द्र ने कहा, देखो भाई इस पेड़ पर न पत्ते हैं, न फूल, न फल। अब इसके दोबारा हरे होने की कौन कहे, बचने की भी कोई उम्मीद नहीं है।

जंगल में कई ऐसे पेड़ हैं, जिनके बड़े-बड़े कोटर पत्तों से ढके हैं। पेड़ फल-फूल से भी लदे हैं।
वहाँ से सरोवर भी पास है। तुम इस पेड़ पर क्या कर रहे हो, वहाँ क्यों नहीं चले जाते ?
तोते ने जवाब दिया, देवराज, मैं इसी पर जन्मा, इसी पर बढ़ा, इसके मीठे फल खाए। इसने मुझे दुश्मनों से कई बार बचाया। 

इसके साथ मैंने सुख भोगे हैं। आज इस पर बुरा वक्त आया तो मैं अपने सुख के लिए इसे त्याग दूँ।
जिसके साथ सुख भोगे, दुख भी उसके साथ भोगूँगा, मुझे इसमें आनन्द है।

आप देवता होकर भी मुझे ऐसी बुरी सलाह क्यों दे रहे हैं ?' यह कह कर तोते ने तो जैसे इन्द्र की बोलती ही बन्द कर दी।

तोते की दो-टूक सुन कर इन्द्र प्रसन्न हुए, बोल.. मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। कोई वर मांग लो।
तोता बोला, मेरे इस प्यारे पेड़ को पहले की तरह ही हरा-भरा कर दीजिए।

देवराज ने पेड़ को न सिर्फ अमृत से सींच दिया, बल्कि उस पर अमृत बरसाया भी।
पेड़ में नई कोपलें फूटीं। वह पहले की तरह हरा हो गया, उसमें खूब फल भी लग गए।
तोता उस पर बहुत दिनों तक रहा,मरने के बाद देवलोक को चला गया।

युधिष्ठिर को यह कथा सुना कर भीष्म बोले, अपने आश्रयदाता के दुख को जो अपना दुख समझता है, उसके कष्ट मिटाने स्वयं ईश्वर आते हैं।

बुरे वक्त में व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाता है। जो उस समय उसका साथ देता है, उसके लिए वह अपने प्राणों की बाजी लगा देता है।

किसी के सुख के साथी बनो न बनो, दुख के साथी जरूर बनो। यही धर्मनीति है और कूटनीति भी..।
जय श्री कृष्णा 

more 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Google Mera Naam Kya Hai

Google Mera Naam Kya Hai | जानिए गूगल से बात कैसे करे   यदि आप गूगल से बात करना चाहते हैं तो गूगल मेरा नाम क्या है पूछने की बजाए गूगल असिस्टेंट का इस्तेमाल करना चाहिए आप यदि एंड्राइड फोन फोन यूजर है तो जीमेल आईडी जरूर बनाई होगी आपने जो  gmail id मे नाम दिया है वहीं गूगल असिस्टेंट आपको बताएगा गूगल के पास आपके बहुत सारे डेटा सेफ है आपका लाइव लोकेशन आफ साल में कितने किलोमीटर है चले हैं कितने देश घूमे हैं यह सब डाटा गूगल के पास होता है  गूगल का सबसे ज्यादा पॉपुलर प्रोडक्ट सर्च इंजन है लेकिन गूगल के अन्य कई प्रोडक्ट भी है जिससे आप बातें कर सकते हैं इसमें से एक है गूगल असिस्टेंट गूगल असिस्टेंट द्वारा आप आपको कोई भी सवाल सवाल पूछना हो तो वह आपको बोलकर आवाज मे बताएगा  गूगल असिस्टेंट से कई डिवाइस कनेक्ट करके आप कमांड देकर काम करवा सकते हैं जैसे फैन चलाना लाइट बंद करना लाइट चालू करना फोन लगाना यूट्यूब खोलना फेसबुक खोलना यह सारे कमांड बोलकर कर सकते हैं  Google Mera Naam Kya Hai | Google Assistant Setup एक बार जब आप Play Store की मुख्य स्क्रीन पर हों, तो स्क्रीन के खोज बार पर टैप करें और खोज फ़ील्

Pav Bhaji Recipe in Hindi

पाव भाजी मिक्स सब्जियों से बनाई जाती है। बच्चों को सब्जी खिलाने का यह एक आसान तरीका भी है। हम घर पर आसानी से भी बना सकते है। और खाने में भी बहुत ही टेस्टी होती है।  इसे पाव , स्लाइस ब्रेड ,रोटी या आप जिसके साथ खाना चाहे खा सकते है। आज हम भाजी को पाव के साथ खाने के लिए बनाएंगे । Pav Bhaji Recipe in Hindi Pav Bhaji Recipe in Hindi सामग्री:      2 प्याज, बारीक काटा हुआ      1 टमाटर, बारीक काटा हुआ      2-3 लाल मिर्च, बारीक काटा हुआ      1 कप शिमला मिर्च, बारीक काटा हुआ      1 कप मटर      2 आलू, छोटे क्यूब्स में काटा हुआ      2-3 लौंग      1 बड़ी इलाइची      1 छोटा चम्मच जीरा      1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर      1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर      1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर      नमक स्वाद अनुसर      2-3 बड़े चम्मच पाव भाजी मसाला      3-4 बड़े चम्मच मखान      धनिया, बारीक काटा हुआ पाव भाजी बनाने की विधि एक बार्टन में पानी उबलने के लिए रख दें। जब पानी उबलने लगे तो उसमें आलू और मटर डाल दें। उन्हें तब तक उबालें जब तक वो नरम न हो जाए। जब ये नरम हो जाए तो उसमें छान कर ठंडा पानी डाल दें और फिर उन्हें छ

स्नान और नहाने में बहुत अंतर है।

  स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है। कृपया एक बार अवश्य पढ़िए क्या आप जानते हैं कि स्नान और नहाने में क्या अन्तर है :- एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी क्या आपको मालुम है कि श्री कृष्ण जी बार बार द्रोपदी से मिलने क्यो जाते है। कोई अपनी बहन के घर बार बार मिलने थोड़ी ना जाता है, मुझे तो लगता है कुछ गड़बड़ है, ऐसा क्या है ? जो बार बार द्रोपदी के घर जाते है । तो देवी रुक्मणि ने कहा : बेकार की बातें मत करो ये बहन भाई का पवित्र सम्बन्ध है जाओ जाकर अपना काम करो। ठाकुर जी सब समझ ग्ए । और कहीं जाने लगे तो देवी सत्यभामा ने पूछा कि प्रभु आप कहां जा रहे हो ठाकुर जी ने कहा कि मैं द्रोपदी के घर जा रहा हूं । अब तो सत्यभामा जी और बेचैन हो गई और तुरन्त देवी रुक्मणि से बोली, 'देखो दीदी फिर वही द्रोपदी के घर जा रहे हैं ‘। कृष्ण जी ने कहा कि क्या तुम भी हमारे साथ चलोगी तो सत्यभामा जी फौरन तैयार हो गई और देवी रुक्मणि से बोली कि दीदी आप भी मेरे साथ चलो और द्रोपदी को ऐसा मज़ा चखा के आएंगे कि वो जीवन भर याद रखेगी।