सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Meesho App se Paise kaise kamaye

मीशो ऐप से पैसे कैसे कमाए - घर बैठे पैसे कमाने का तरीका

मीशो एप से पैसा कमाने के लिए इस जानकारी को आप को ध्यान से पढ़ना चाहिए मीशो एक ऑनलाइन इकॉमर्स प्लेटफॉर्म है इसमें दो तरीकों से पैसा कमाया जा सकता है  इस लेख में हम मीशो के रीसेलर अकाउंट के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे मीशो से पैसा कमाया जा सके ।

मीशो कैसे काम करता है?


Meesho App se Paise kaise kamaye | Meesho Reseller account kya hota hai

मीशो पुनर्विक्रेता अकाउंट का मतलब मीशो में पड़े जितने भी प्रोडक्ट है उन प्रोडक्ट को आप अपने हिसाब से रेट तय करके अपने प्रोफाइल या सोशल मीडिया में शेयर करके पैसे कमा सकते हैं एक बार जब आप मीशो में लॉगिन कर लेते हैं और रिटेलर अकाउंट ओपन कर लेते हैंतो आपको मीशो द्वारा अपने मन मुताबिक रेट को सेट कर के बेचने का अवसर प्रदान किया जाता है ।

Meesho Reseller अकाउंट कैसे ओपन करें

सबसे पहले मीशो ऐप डाउनलोड करें उसके बाद उसने मोबाइल नंबर डालकर लॉग इन करलो लॉग इन करने के बाद माय अकाउंट में जाकर नाम पता ईमेल एड्रेसस बैंक अकाउंट नंबर डाल दें अब उसके बाद कोई भी प्रोडक्ट को शेयर करे ।

अब आप देखेंगे कि मारजिंग सेट करने का ऑप्शन सो कर रहा होगा इसका मतलब अब आपका अकाउंट कंप्लीट हो गया ।

Meesho me Reselling  करके कितना कमा सकते हैं

मीशो मे सेलिंग करके आप दिन का पांच ऑर्डर भी लाते हैं तो कम से कम ₹500 बनते हैं महीने का ₹15000 हुआऔर यदि आप किसी ब्याज देने वाली कंपनी को ₹5000 हर महीने जमा करते या शेयर मार्केट में लगाते हैं तो आपका पैसा दिनों दिन बढ़ता रहेगा ।

मीशो मे कहां से ऑर्डर लाएं या कहां पर शेयर करें

  • निशु मैं आर्डर लाने के लिए सबसे अच्छा तरीका फेसबुक मार्केटप्लेस है ।
  • पहले फेसबुक अकाउंट में लॉग इन करें और मार्केटप्लेस टैब पर जाएँ। 
  • समान बेचने के लिए "विक्रेता बनें" या "विक्रेता हो जाएं" का बटन देखें। 
  • विक्रेता अकाउंट बनाने के लिए निर्दिष्ट जानकारी दें, जैसे नाम, पता, फोटो, और विवरण। 
  • समान की फोटो अपलोड करें और समान का विवरण और मूल्य दर्ज करें। 
  • अपने समान को एक शीर्षक दें और विवरण दर्ज करें। 
  • आप अपने समान की लोकेशन भी दर्ज कर सकते हैं जो लोग उस समान की खोज में हो सकते हैं। 
  • आपके समान की विशेषताओं को बताने के लिए विवरण जोड़ें। 
  • अपने समान के लिए एक मूल्य निर्धारित करें और संपर्क विवरण जैसे कि फोन नंबर या ईमेल भी दर्ज करें। 
  • अपने समान को जाँचें और अपने लिस्टिंग को पोस्ट करें। 
  • आपके समान का लिस्टिंग अब मार्केटप्लेस पर उपलब्ध हो जाएगा। 

क्या मीशो सच में पैसे देता है?

मीशो का कोई भी प्रोडक्ट आप अपने प्रोफाइल के माध्यम से प्रॉफिट जोड़कर शेयर करते हैं तो मीशो सच में आपको पैसा आपके बैंक अकाउंट में डालता है ।

Meesho Customer Care Number Near Prayagraj Uttar Pradesh

यदि आप प्रयागराज से हैं तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि मीशो का कांटेक्ट नंबर एक ही होता है आप इस पर बात करके अपनी समस्याएं को बता सकते हैं और उनका निवारण भी पा सकते हैं ।


Meesho Customer Care Number - 080-61799600

मीशो एप डाउनलोड कैसे करें

मिशी ऐप डाउनलोड करने के लिए आप इन चरणों का पालन करे।

  • अपने मोबाइल डिवाइस पर Google Play Store या Apple App Store खोलें।
  • सर्च बार में, "मिशी ऐप" टाइप करें और एंटर दबाएं।
  • खोज परिणामों से मिशी ऐप का चयन करें।
  • अब"इंस्टॉल करें" बटन पर क्लिक करें।
  • स्थापना प्रक्रिया पूरी होने तक प्रतीक्षा करें।
  • एक बार इंस्टॉलेशन पूरा हो जाने पर, ऐप खोलें और अपना खाता सेट करने के लिए ऑन-स्क्रीन निर्देशों का पालन करें।

क्या मीशो एक रीसेलिंग ऐप है?

जी हां, मीशो भारत में स्थित एक रीसेलिंग ऐप है। यह व्यक्तियों को व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सीधे अपने ग्राहकों को उत्पादों को पुनर्विक्रय करके अपना ऑनलाइन व्यवसाय शुरू करने की अनुमति देता है। 

मीशो का मालिक कौन है?

मीशो का मालिक कौन है? इसका जवाब है विदित आत्रेय। विदित आत्रे मीशो के सह-संस्थापक और सीईओ हैं। उन्होंने 2015 में अपने दोस्त और सह-संस्थापक संजीव बरनवाल के साथ मीशो की शुरुआत की।

विदित आत्रेय IIT दिल्ली के स्नातक हैं, जहाँ उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन किया। मीशो शुरू करने से पहले, उन्होंने एक मोबाइल विज्ञापन कंपनी इनमोबी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। 2018 में, Vidit Aatrey को Meesho के साथ उनके काम के लिए फोर्ब्स इंडिया 30 अंडर 30 लिस्ट में नामित किया गया था।

मीशो कैसे काम करता है?

मीशो के बिजनेस मॉडल में सोर्स प्रॉडक्ट्स के लिए सप्लायर्स, मैन्युफैक्चरर्स और होलसेलर्स के साथ पार्टनरशिप करना शामिल है। इसके बाद कंपनी इन उत्पादों को थोक मूल्य पर अपने प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं को उपलब्ध कराती है। विक्रेता तब इन उत्पादों को खुदरा कीमतों पर बेच सकते हैं और प्रत्येक बिक्री पर कमीशन कमा सकते हैं।

मीशो विक्रेताओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने के लिए उत्पाद कैटलॉग, मूल्य निर्धारण सुझाव और प्रभावी ढंग से बेचने के तरीके पर प्रशिक्षण सहित उपकरण और संसाधन भी प्रदान करता है। कंपनी डिलीवरी और रिटर्न सहित पेमेंट प्रोसेसिंग और लॉजिस्टिक्स भी संभालती है।

मीशो की अनूठी विशेषताओं में से एक महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। मीशो के अधिकांश विक्रेता महिलाएं हैं जो घर से काम करते हुए अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए प्लेटफॉर्म का उपयोग करती हैं। मीशो ने वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने सहित महिला उद्यमियों का समर्थन करने के लिए कई पहलें भी शुरू की हैं।

यह भी पढ़ें - 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Google Mera Naam Kya Hai

Google Mera Naam Kya Hai | जानिए गूगल से बात कैसे करे   यदि आप गूगल से बात करना चाहते हैं तो गूगल मेरा नाम क्या है पूछने की बजाए गूगल असिस्टेंट का इस्तेमाल करना चाहिए आप यदि एंड्राइड फोन फोन यूजर है तो जीमेल आईडी जरूर बनाई होगी आपने जो  gmail id मे नाम दिया है वहीं गूगल असिस्टेंट आपको बताएगा गूगल के पास आपके बहुत सारे डेटा सेफ है आपका लाइव लोकेशन आफ साल में कितने किलोमीटर है चले हैं कितने देश घूमे हैं यह सब डाटा गूगल के पास होता है  गूगल का सबसे ज्यादा पॉपुलर प्रोडक्ट सर्च इंजन है लेकिन गूगल के अन्य कई प्रोडक्ट भी है जिससे आप बातें कर सकते हैं इसमें से एक है गूगल असिस्टेंट गूगल असिस्टेंट द्वारा आप आपको कोई भी सवाल सवाल पूछना हो तो वह आपको बोलकर आवाज मे बताएगा  गूगल असिस्टेंट से कई डिवाइस कनेक्ट करके आप कमांड देकर काम करवा सकते हैं जैसे फैन चलाना लाइट बंद करना लाइट चालू करना फोन लगाना यूट्यूब खोलना फेसबुक खोलना यह सारे कमांड बोलकर कर सकते हैं  Google Mera Naam Kya Hai | Google Assistant Setup एक बार जब आप Play Store की मुख्य स्क्रीन पर हों, तो स्क्रीन के खोज बार पर टैप करें और खोज फ़ील्

स्नान और नहाने में बहुत अंतर है।

  स्नान‘ और ‘नहाने’ में बहुत अंतर है। कृपया एक बार अवश्य पढ़िए क्या आप जानते हैं कि स्नान और नहाने में क्या अन्तर है :- एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी क्या आपको मालुम है कि श्री कृष्ण जी बार बार द्रोपदी से मिलने क्यो जाते है। कोई अपनी बहन के घर बार बार मिलने थोड़ी ना जाता है, मुझे तो लगता है कुछ गड़बड़ है, ऐसा क्या है ? जो बार बार द्रोपदी के घर जाते है । तो देवी रुक्मणि ने कहा : बेकार की बातें मत करो ये बहन भाई का पवित्र सम्बन्ध है जाओ जाकर अपना काम करो। ठाकुर जी सब समझ ग्ए । और कहीं जाने लगे तो देवी सत्यभामा ने पूछा कि प्रभु आप कहां जा रहे हो ठाकुर जी ने कहा कि मैं द्रोपदी के घर जा रहा हूं । अब तो सत्यभामा जी और बेचैन हो गई और तुरन्त देवी रुक्मणि से बोली, 'देखो दीदी फिर वही द्रोपदी के घर जा रहे हैं ‘। कृष्ण जी ने कहा कि क्या तुम भी हमारे साथ चलोगी तो सत्यभामा जी फौरन तैयार हो गई और देवी रुक्मणि से बोली कि दीदी आप भी मेरे साथ चलो और द्रोपदी को ऐसा मज़ा चखा के आएंगे कि वो जीवन भर याद रखेगी।

शरद पूर्णिमा की कहानी

शरद पूर्णिमा की कहानी वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022 Katha): पुराने समय की बात है एक नगर में एक सेठ (साहूकार) को दो बेटियां थीं. दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी आज भक्त मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करेंगे. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Purnima) तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं. यही वजह है कि इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की बारिश करती हैं, इसीलिए आज लोग खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी के नीचे रखेंगे. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा... शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा शरद पूर

Pav Bhaji Recipe in Hindi

पाव भाजी मिक्स सब्जियों से बनाई जाती है। बच्चों को सब्जी खिलाने का यह एक आसान तरीका भी है। हम घर पर आसानी से भी बना सकते है। और खाने में भी बहुत ही टेस्टी होती है।  इसे पाव , स्लाइस ब्रेड ,रोटी या आप जिसके साथ खाना चाहे खा सकते है। आज हम भाजी को पाव के साथ खाने के लिए बनाएंगे । Pav Bhaji Recipe in Hindi Pav Bhaji Recipe in Hindi सामग्री:      2 प्याज, बारीक काटा हुआ      1 टमाटर, बारीक काटा हुआ      2-3 लाल मिर्च, बारीक काटा हुआ      1 कप शिमला मिर्च, बारीक काटा हुआ      1 कप मटर      2 आलू, छोटे क्यूब्स में काटा हुआ      2-3 लौंग      1 बड़ी इलाइची      1 छोटा चम्मच जीरा      1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर      1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर      1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर      नमक स्वाद अनुसर      2-3 बड़े चम्मच पाव भाजी मसाला      3-4 बड़े चम्मच मखान      धनिया, बारीक काटा हुआ पाव भाजी बनाने की विधि एक बार्टन में पानी उबलने के लिए रख दें। जब पानी उबलने लगे तो उसमें आलू और मटर डाल दें। उन्हें तब तक उबालें जब तक वो नरम न हो जाए। जब ये नरम हो जाए तो उसमें छान कर ठंडा पानी डाल दें और फिर उन्हें छ

बड़ी सुन्दर सत्य कथा है ठाकुर जी महाराज की अवश्य पढ़े

  बड़ी सुन्दर सत्य कथा है l ठाकुर जी महाराज की अवश्य पढ़े वृंदावन के जंगल में साधुओं के एक आश्रम में  जिसे कदंब खांडी, या "कदंब के पेड़ों की भीड़" के नाम से जाना जाता है। बरसाने  से 20 किलोमीटर पहले स्थित यह सत्य युग के दृश्य जैसा प्रतीत होता है। यह व्रज का एक सुंदर अछूता क्षेत्र है, जहाँ गायें आज़ाद घूमती हैं, हिरणों का खेल, और तोते और मोर हर जगह होते हैं। हम एक साधु से मिले, जिसने अपना पूरा जीवन एक बरगद के पेड़ के नीचे गुजारा, केवल दूध पर निर्वाह किया। वह एक एंथिल के बगल में सोता है, जहाँ दो बड़े काले नाग प्रतिदिन भोजन की तलाश में निकलते हैं। 💠 बड़ी सुन्दर सत्य कथा है ठाकुर जी महाराज की अवश्य पढ़े 💠 एक बार वृन्दावन में एक संत हुए कदम्खंडी जी महाराज । उनकी बड़ी बड़ी जटाएं थी। वो वृन्दावन के सघन वन में जाके भजन करते थे।एक दिन जा रहे थे तो रास्ते में उनकी बड़ी बड़ी जटाए झाडियो में उलझ गई। उन्होंने खूब प्रयत्न किया किन्तु सफल नहीं हो पाए। और थक के वही बैठ गए और बैठे बैठे गुनगुनाने लगे। "हे मुरलीधर छलिया मोहन हम भी तुमको दिल दे बैठे, गम पहले से ही कम तो ना थे, एक और मुसीबत ले

आज की कहानी

  आज की कहानी उस दिन सबेरे आठ बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला । मैं रेलवे स्टेशन पँहुचा , पर देरी से पँहुचने के कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी । मेरे पास दोपहर की ट्रेन के अलावा कोई चारा नही था । मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए । बहुत जोर की भूख लगी थी । मैं होटल की ओर जा रहा था । अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी । दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे .।बच्चों की हालत बहुत खराब थी । कमजोरी के कारण अस्थि पिंजर साफ दिखाई दे रहे थे ।वे भूखे लग रहे थे । छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था और बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था । मैं अचानक रुक गया ।दौड़ती भागती जिंदगी में पैर ठहर से गये । जीवन को देख मेरा मन भर आया । सोचा इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाएँ । मैं उन्हें दस रु. देकर आगे बढ़ गया  तुरंत मेरे मन में एक विचार आया कितना कंजूस हूँ मैं ! दस रु. का क्या मिलेगा ? चाय तक ढंग से न मिलेगी ! स्वयं पर शर्म आयी फिर वापस लौटा । मैंने बच्चों से कहा - कुछ खाओगे ? बच्चे थोड़े असमंजस में पड़ गए ! जी । मैंने कहा बेटा ! मैं नाश्ता करने जा रहा हूँ , तुम भ

एक बड़े बूढ़े से बाबा थे मथुरा में चिकित्सक

 एक बड़े बूढ़े से बाबा थे मथुरा में चिकित्सक 7 वर्ष के थे तभी से अपने दादा जी के साथ गिरिराज जी की परिक्रमा करते ऐसे करते 72 साल के हो गये एक बार अपने नियम से वो रात में परिक्रमा जाने लगे। उस दिन मौसम थोड़ा खराब था।सबने मना किया,पर वो  माने नही। सोचा कल चिकित्सालय बन्द करना नही पड़ेगा। रात में ही परिक्रमा कर लूँगा। तो निकल गये परिक्रमा के लिये जिस मार्ग से जाते थे वो कच्चा था।पर उन्होंने तो मन बना ही लिया था कि आज तो जाऊंगा ही। मार्ग में वर्षा आरंभ हो गयी। अब एक जगह गड्ढे में फंस गये बाबा। जितना पैर आगे निकालते उतना और धँस जाते उस कीचड़ में। वे बाबा जी अक्सर एक पंक्ति को गाकर भगवान को खूब याद करते थे। जान चुके थे कि दलदल में फंस गया हूँ, बचूँगा तो नही अब। रात बहुत है कोई सहायता को भी नही आयेगा।अब उन्होंने जोर जोर ऊँची आवाज़ से भगवान को याद करना आरंभ किया, कहते, "श्री राधाकृष्ण के गह चरण, श्री गिरिवरधरण की ले शरण, बीच बीच मे आर्तनाद भी करते, हे गोपाल, बंशीलाल अपने चरणों मे स्थान देना इतने में एक नन्हे बालक की आवाज़ बाबा के कान में पड़ी कोन है?  बाबा बोले- मैं परिक्रमा यात्री। अरे लाला, कल

धर्मात्मा तोते की कथा

देवराज इंद्र और धर्मात्मा तोते की कथा  एक शिकारी ने शिकार पर तीर चलाया। तीर पर सबसे खतरनाक जहर लगा हुआ था। पर निशाना चूक गया। तीर हिरण की जगह एक फले-फूले पेड़ में जा लगा। पेड़ में जहर फैला, वह सूखने लगा। उस पर रहने वाले सभी पक्षी एक-एक कर उसे छोड़ गए।  पेड़ के कोटर में एक धर्मात्मा तोता बहुत बरसों से रहा करता था। तोता पेड़ छोड़ कर नहीं गया, बल्कि अब तो वह  ज्यादातर समय पेड़ पर ही रहता।दाना-पानी न मिलने से तोता भी सूख कर काँटा हुआ जा रहा था। बात देवराज इन्द्र तक पहुँची। मरते वृक्ष के लिए अपने प्राण दे रहे तोते को देखने के लिए इन्द्र स्वयं वहाँ आए। धर्मात्मा तोते ने उन्हें पहली नजर में ही पहचान लिया।  इन्द्र ने कहा, देखो भाई इस पेड़ पर न पत्ते हैं, न फूल, न फल। अब इसके दोबारा हरे होने की कौन कहे, बचने की भी कोई उम्मीद नहीं है। जंगल में कई ऐसे पेड़ हैं, जिनके बड़े-बड़े कोटर पत्तों से ढके हैं। पेड़ फल-फूल से भी लदे हैं। वहाँ से सरोवर भी पास है। तुम इस पेड़ पर क्या कर रहे हो, वहाँ क्यों नहीं चले जाते ? तोते ने जवाब दिया, देवराज, मैं इसी पर जन्मा, इसी पर बढ़ा, इसके मीठे फल खाए। इसने मुझे दुश

राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत l Radha Kripa Kataksh Stotra Lyrics

राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत भगवान शंकर द्वारा रचित मदनाख़्य प्रेम की अधिष्ठात्री राधा रानी की स्तुति "राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत" :-  श्रीराधाजी की स्तुतियों में श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का स्थान सर्वोपरि है। इसीलिए इसे ‘श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तवराज’ नाम दिया गया है अर्थात् स्तोत्रों का राजा।  1.    मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते  त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी !                व्रजेन्द्रभानुनंदनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्  !! अर्थ - मुनीन्द वृंद जिनके चरणों की वंदना करते हैं तथा जो तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं मुस्कानयुक्त प्रफुलिलत मुख कमलवाली,निकुंज भवन में विलास करनेवाली,राजा वृषभानु की राजकुमारी,श्रीब्रज राजकुमार की ह्दयेश्वरी श्रीराधिके!कब मुझे अपने कृपा कटाक्ष का पात्र बनाओगी ? 2.    अशोकवृक्षवल्लरी, वितानमण्डपस्थिते,  प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ्कोमले !        वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष -भाजनम् !! अर्थ - अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए 'लता मंदिर' में विराजमान और मूँगे अग्न

श्री नाथजी एक भाव विभोर कथा

 श्री नाथजी एक भाव विभोर कथा श्रीजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे , कितना अद्भुत दृश्य है - समस्त जगत का बाप एक नन्हें बालक की भांति अपने प्रेमिभक्त कुम्भनदास की गोदी में बैठ क्रीड़ा कर रहा है।    . तभी निकट से बृज की एक भोली ग्वालन निकट से निकली,    श्रीनाथजी ने गुझरी को आवाज दी ईधर आ तो गुझरी ने कहा बाबा आपको प्यास लगी है क्या   तो श्रीनाथजी ने कहा मुझे नही मेरे कुभंना को लगी है  श्रीनाथजी कुभंनदास को प्यार से कुभंना कहते।  कुभंनदास जी कह रहे है - श्रीजी मुझे प्यास नही लगी है  तो श्रीनाथजी ने गुझरी से कहा- इसको छाछ पीला जैसे ही गुझरी ने कुभंनदास जी को छाछ पिलिइ पीछे से श्रीजी ने उसकी पोटली मे से एक रोटी निकाली और कुभंनदास जी ने देख लिया।  श्रीनाथजी ने गुझरी से कहा अब तु जा तो भोली ग्वालन बाबा को छाछ पिला कर अपने कार्य को चली गयी।  गुझरी के जाते ही कुंभनदास जी ने श्रीनाथ जी से कहा - श्रीजी आपकी ये चोरी की आदत गई नहीं  तो श्रीनाथजी ने आधी रोटी कुभंना को दी और आधी रोटी आप ने ली  जैसे ही कुभंनदास जी ने ली तो श्रीनाथजी ने कहा अरे कुभंना तू चख तो सही तो