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शरद पूर्णिमा की कहानी

शरद पूर्णिमा की कहानी वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022 Katha): पुराने समय की बात है एक नगर में एक सेठ (साहूकार) को दो बेटियां थीं. दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी आज भक्त मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करेंगे. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Purnima) तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं. यही वजह है कि इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की बारिश करती हैं, इसीलिए आज लोग खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी के नीचे रखेंगे. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा... शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा शरद पूर

कार्तिक माह महत्व

  कार्तिक माह महत्व कार्तिक हिंदी पंचाग का आँठवा महिना है, कार्तिक के महीने में दामोदर भगवान की पूजा की जाती हैं. यह महिना शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है, जिसके बीच में कई विशेष त्यौहार मनाये जाते हैं. शरद पूर्णिमा महत्व कथा पूजा विधि एवम कविताजानने के लिए पढ़े. इस माह में पवित्र नदियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता हैं. घर की महिलायें सुबह जल्दी उठ स्नान करती हैं, यह स्नान कुँवारी एवम वैवाहिक दोनों के लिए श्रेष्ठ हैं. इस माह की एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी अथवा देव उठनी एकादशी कहा जाता हैं इसका सर्वाधिक महत्व होता है, इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा के बाद उठते हैं जिसके बाद से मांगलिक कार्य शुरू किये जाते हैं. इस महीने तप एवम पूजा पाठ उपवास का महत्व होता है, जिसके फलस्वरूप जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है. इस माह में तप के फलस्वरूप मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.इस माह के श्रद्धा से पालन करने पर दीन दुखियों का उद्धार होता है, जिसका महत्त्व स्वयम विष्णु ने ब्रह्मा जी से कहा था.इस माह के प्रताप से रोगियों के रोग दूर होते हैं जीवन विलासिता

कार्तिक माह की कहानी

 कार्तिक माह की  कहानी  एक समय की बात है किसी नगर में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था और उसकी सात बहुएँ थी. एक बार कार्तिक का महीना आया और उसने अपनी बहुओं से कहा कि मैं कार्तिक का स्नान करुंगा, क्या तुम इसे निभा दोगी? सात में से छ: बहुओं ने मना कर दिया लेकिन बड़ी बहू ने कहा कि मैं निभा दूंगी. बूढ़ा हर रोज सुबह उठता और नदी पर स्नान कर घर आता. गीली धोती को वह बड़ी बहू के आँगन में सुखा देता. जैसे-जैसे उस गीली धोती में से पानी की बूँदें जमीन पर गिरती वैसे ही वह हीरे मोतियों में बदल जाती. कार्तिक मास की कहानी लिखी हुई धोती से हीरे-मोती गिरते देख बाकी छ: बहुओं से रहा नही गया और वे बोली कि हम भी बूढ़े को अपने यहाँ नहाने को बोलते हैं. उन्होने कहा कि पिताजी आप कल से हमारे यहाँ कार्तिक नहा लेना. बूढ़े ने कहा कि ठीक है, मुझे तो नहाना ही है, मैं तुम्हारे यहाँ नहा लूंगा. बूढ़ा सुबह सवेरे स्नान कर के आया और धोती उसने दूसरी बहू के आँगन में सुखाने के लिए डाल दी लेकिन यहाँ हीरे-मोती की बजाय कीचड़ टपकने लगा. बहुओं ने यह देखा तो कहा कि आप हमारे यहाँ पाप का स्नान कर रहे हो इसलिए यहाँ से जाओ और बड़ी बहू के यहाँ ह

राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत l Radha Kripa Kataksh Stotra Lyrics

राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत भगवान शंकर द्वारा रचित मदनाख़्य प्रेम की अधिष्ठात्री राधा रानी की स्तुति "राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत" :-  श्रीराधाजी की स्तुतियों में श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का स्थान सर्वोपरि है। इसीलिए इसे ‘श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तवराज’ नाम दिया गया है अर्थात् स्तोत्रों का राजा।  1.    मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते  त्रिलोकशोकहारिणी, प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी !                व्रजेन्द्रभानुनंदनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्  !! अर्थ - मुनीन्द वृंद जिनके चरणों की वंदना करते हैं तथा जो तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं मुस्कानयुक्त प्रफुलिलत मुख कमलवाली,निकुंज भवन में विलास करनेवाली,राजा वृषभानु की राजकुमारी,श्रीब्रज राजकुमार की ह्दयेश्वरी श्रीराधिके!कब मुझे अपने कृपा कटाक्ष का पात्र बनाओगी ? 2.    अशोकवृक्षवल्लरी, वितानमण्डपस्थिते,  प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ्कोमले !        वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष -भाजनम् !! अर्थ - अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए 'लता मंदिर' में विराजमान और मूँगे अग्न

प्यार का पहला खत-Pyar ka pehla khat lyrics

 Pyar ka Pehla khat lyrics in Hindi प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था लम्बी दुरी तय करने में वक़्त तो लगता है लम्बी दुरी तय करने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है गांठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी गांठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हो या डोरी लाख करे कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है लाख करे कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है हमने इलाज-ए-जख्म-ए-दिल तो ढूंढे लिया लेकिन हमने इलाज-ए-जख्म-ए-दिल तो ढूंढे लिया लेकिन गहरे जख्मो को भरने में वक़्त तो लगता है गहरे जख्मो को भरने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है प्यार का पहले ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है

सरफरोशी की तमन्ना Sarfaroshi Hindi lyrics Gane

 सरफरोशी की तमन्ना Sarfaroshi Ki Tamanna Hindi lyrics Gane  सरफरोशी की तमन्ना भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध देशभक्तिपूर्ण ग़ज़ल है जिसमें उन्होंने आत्मोत्सर्ग की भावना को व्यक्त किया था। उनकी यह तमन्ना क्रान्तिकारियों का मन्त्र बन गयी थी सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है ऐ वतन, करता नहीं क्यूँ दूसरी कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान, हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद, आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर. ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं